एहसास | EhsaasJui KarhadkarAug 22, 20241 min readसम से सम तक बिना रुकेवक्त से पल को जीत लिया कलाई घूमी आसमान की ओर और नज़र ने निशाना ठान लियाफूल पत्तियाँ झूमी साथ साथ भर आया हरियाली का मेला हमेशा बिखरने वाली मैं,आज ज़िंदा होने का एहसास पा लिया#poetry #poetryanddance #paintedthoughts
नींदेनींदोंके मोहताज कभी न थे हम, मगर हाल ही में रातोंने इनसे कुछ ऐसे मुंह मोड लिया है की अब पलके मूँदने के लिए भी पलके बिछानी पडती हैं!
Poem of ParadoxesOn a crowded path, in an unchanged land, we walk alone... In a group of some, in a jam packed home, we walk alone... In a beaming light,...
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